सरकार ने घाटे में चल रहे BSNLको मदद देने के लिए बड़े पैकेज का ऐलान किया 

सरकार ने घाटे में चल रहे BSNL को मदद देने के लिए बड़े पैकेज का ऐलान किया है कि BSNL घाटे से जल्द से जल्द और नई तकनीक के साथ कदमताल करें लेकिन सरकार के इस 1.64 करोड रुपए दिए गए हैं 4 साल के पैकेज और गैर नगदी दोनों शामिल है 43964 में नगर देने का ऐलान किया गया है और उसे 4G जो सेवाएं हैं बीएसएनएल की इसमें अपग्रेड करी जाएगी BSNL और भारत ब्रॉडबैंड निगम लिमिटेड का विलय भी होगा इरादा क्या है कि जो ग्रामीण क्षेत्र है वहां पर ब्रॉडबैंड का विस्तार बीएसएनएल के जरिए किया जाए पंचायत को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने के लिए जो भारत में परियोजना चलाई जा रही है उसमें तेजी लाइसेंस यह भी साफ कर देते हैं कि बीएसएनएल के 36% जो उपभोक्ता है वह ग्रामीण क्षेत्र में है और इसीलिए गैर व्यावसायिक क्षेत्र में पहुंच बढ़ाना जरूरी है साथ ही बीएसएनएल की बैलेंस शीट को भी सुधरने की कोशिश सरकार कर रही है कोशिश यह भी है की सेवाओं में सुधार लाया जाए ग्राहकों का संतोष बढ़ाया जाए बीएसएनल का क्या फायदा है घरेलू उत्पादों पर निर्भर है बाकी निजी टेलीकॉम कंपनियां है वह आयात करती है लेकिन बीएसएनल भारत में ही बने उत्पादों का उपयोग करता है तो इससे भारत आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा मिलने की संभावना है इसके साथ-साथ जिस तरह से 4G और 5G सेवाओं में बीएसएनल आएगा उसके विस्तार से घरेलू उत्पादों को भी उत्पादक को है जो है उन्हें लाभ मिलेगा और बीएसएनएल क्यों जरूरी है सरकार को क्यों लगता है क्योंकि सुरक्षा की दृष्टि से सरकार के पास एक टेलीकॉम होना जरूरी है नक्सल प्रभावित इलाके और सीमावर्ती इलाकों में टेलीकॉम का विस्तार बीएसएनएल के जरिए हो सकता है वहां निजी टेलीकॉम कंपनियों की पहुंच नहीं है ना वह जाना चाहती है पैकेज दिया गया इसका क्या असर होगा यह भी देख लेते हैं अगले 5 साल में घाटे से उबड़ने की उम्मीद की जा रही है बीएसएनल को मौजूदा सेवाओं की गुणवत्ता को सुधारने का प्रयास किया जा रहा है और बीएसएनएल जो अभी तक 4G में नहीं आया है उसकी सेवाओं को शुरू करने का भी इरादा है लेकिन क्या यह फायदे का सौदा है इतनी बड़ी रकम बीएसएनल में डालना क्योंकि 101 करोड़ के करीब उपभोक्ता देश में भी है टेलीफोन के और इसमें बीएसएनएल के पास केवल 12 करोड़ उद्योगपति है ग्रामीण उपभोक्ता में अगर बीएसएनल का हिस्सा देखें तो वह केवल 7.5% थी आता है ग्रामीण क्षेत्र में भी निजी टेलीकॉम कंपनियां पहुंच गई है वहां पर उनकी मजबूत पकड़ बन चुकी है और कांग्रेस भारत में पहले से ही बहुत कम है इसलिए रेवेन्यू बढ़ाने की गुंजाइश ज्यादा नहीं है बीएसएनएल की चुनौतियां क्या है क्योंकि इंटरनेट उपभोक्ताओं में उसकी बहुत कम हिस्सेदारी है 82 करोड़ ग्राहक है इंटरनेट के इनमें से केवल 3 करोड़ बीएसएनएल के पास है और 98% आबादी के पास पहले से ही 4G है जिसमें बीएसएनल को अब लाने की बात हो रही है और इस समय 5G स्पेक्ट्रम की बोली चल रही है उसे निजी टेलीकॉम खरीद रहे हैं तो ऑलरेडी 5G टेलीकॉम की बिक्री भी शुरू हो चुकी है और अगर हम कुछ साल का आंकड़ा देखें तो बीएसएनल घाटे में है 2019

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