19 जून 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के प्रगति मैदान के पास एक टनल का उद्घाटन किया। उद्घाटन के समय प्रधानमंत्री ने इस पाताल पुल को लेकर जमकर तारीफों के पुल बांधे। मगर अब उस पाताल पुल में कई तरह की खराबियां सामने आ गई हैं। कई जगहों से धरने की खबर है और इससे पानी लीक हो जाता है। पहले तो इससे ठीक करने की कोशिश की गई, मगर अब लगता है कि दिल्ली सरकार को बात समझ में आ गई है कि जोड़ तोड़ से काम नहीं चलेगा
इसके डिज़ैन और बनावट में ही बुनियादी खराबी है।
इसलिए इसके निर्माण से जुड़ी कंपनी एल एंड टी से पी डब्ल्यू डी ने ₹500,00,00,000 का काउंटर क्लेम मांगा है। या एक तरह से हर जाना है। सेंट्रल विस्ता बनाने वाली इस कंपनी से पी डब्ल्यू डी ने सवाल किया है कि वो ये बताएं कि दिल्ली के किसी भी सरकारी प्रोजेक्ट से उसे बैन क्यों नहीं किया जाना चाहिए?
पी डब्ल्यू डी ने चेताया है कि कंपनी पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।
जून 2022 की यह तस्वीर आपने देखी होगी। प्रधानमंत्री की सुरक्षा जांच इतनी सघन होती है कि वहाँ पत्ता तक नहीं छूट सकता। फिर भी प्रधानमंत्री के उठाने के लिए एक बोतल और कुछ पत्ते पाए जाते हैं।और जब उन्होंने उठा लिया तो अखबारों ने लिखा कि प्रधानमंत्री ने सफाई को लेकर सन्देश दिया है।
मीडिया प्रधानमंत्री की हर बात में संदेश और दैवी शक्ति खोज लेता है या प्रधानमंत्री खुद ही मीडिया को इस तरह की चीजें उपलब्ध करा देते हैं, इस पर आप फैसला कर सकते हैं। आप सक्षम हैं मगर उद्घाटन के बाद ही उस समय की खबरें निकाल कर देखिए। पता चलेगा कि टनल में पानी भरने लगा।
जिसकी वजह से इसकी लेन बंद की गई। लेकिन तब प्रधानमंत्री इस टनल को लेकर नए भारत के उदय से जोड़ने लगे थे।
प्रधानमंत्री की बात को लोग या तो ध्यान से नहीं सुनते और सुनते भी हैं तो गौर नहीं करते कि उन्होंने क्या कहा और उनकी बात का मतलब क्या है? भारत में ही कई सारे टनल बने हैं, जो इंजीनियरिंग के कमाल कहे जा सकते हैं। मगर दिल्ली के प्रगति मैदान का टनल निश्चित रूप से इंजीनियरिंग का कोई कमाल नहीं है। उसमें इंजीनियरिंग है, बिल्कुल।
मगर इंजीनियरिंग का कमाल नहीं है। अगर कमाल होता तो इसके डिज़ैन में इंजीनियरिंग में इतने दोष नहीं निकलते। एक साधारण टनल को प्रधानमंत्री ने इवेंट के जरिए विशेष प्रॉडक्ट के रूप में बदल दिया, मगर अब उसकी पोल सबके सामने खुल रही है।
दिल्ली की तरफ से आप अक्षरधाम की ओर आते हैं तो लंबा घूमकर अभी भी आना पड़ता है। इस जगह पर टनल चालू हो जाना चाहिए था, मगर लिखा है रास्ता बंद है। 2 साल के बाद भी टनल चालू नहीं हो सका। 2 साल से ये टनल क्यों नहीं चालू हो सका? तो क्या अब इसके चालू करने के सारे विकल्प समाप्त?
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